लड़कियों को सादगी व संकोचशीलता से वस्त्र पहनने के लिए कहना, उन्हें शर्मिंदा करना नहीं है।
(लोरी अलैक्ज़ेंडर द्वारा लेख)
एक "नारी अधिकारवादी आकस्मिक टोली (feminist flashmob)" के अनुसार, लघु माध्यमिक स्तर की छात्राओं को लैगिंग्स पहनने से मना करना उन्हें शर्मसार करना है और यह बलात्कारी-संस्कृति को बढ़ावा देता है।
मैं आपको बता सकती हूँ कि यह बात मुझे अर्थहीन/विवेकहीन जान पड़ती है और इन महिलाओं में बुद्धि नहीं है। ये मूर्ख महिलाएँ हैं। किस प्रकार जवान लड़कियों को असभ्य कपड़े पहनने से मना करना उन्हें शर्मिंदा करता है और बलात्कारी-संस्कृति को बढ़ावा देता है? इस लेख में एक नारी अधिकारवादी ने ट्वीट किया, "बलात्कारी-संस्कृतियां जब हम 13 वर्षीय लड़कियों को लैगिंग्स/चुस्त पैंट पहनने से मना करते हैं इस कारण से कि इससे लड़कों का ध्यान उनकी ओर आकर्षित होता है।" बेशक़ हमें 13 वर्ष की लड़कियों को यह सिखाना आवश्यक है कि जो वे पहनती हैं वह लड़कों को प्रभावित करता है। यह लिंगों पर आधारित वह अंतर है जोकि परमेश्वर द्वारा सृजा गया है।
नारी अधिकारवादी हल यह पूछता है कि क्यों उन्हें "लड़कियों को छिपाकर/ढ़ककर रखना चाहिए बजाय इसके कि.....लड़कों को यह सिखाया जाए कि वे अति लिंगवादी सुअर ना बनें"। और "लड़कों को महिलाओं का आदर करना चाहिए इस बात पर ध्यान दिए बिना कि वे क्या पहने हुई हैं।" मैं क्षमा चाहती हूँ परंतु स्त्रियों को सलीकेदार वस्त्र पहनने व शादी होने तक कुंवारी बने रहने के लिए कहना और उन्हें स्त्रियोचित व्यवहार करने के लिए सिखाना, उन्हें शर्मसार करना नहीं है; ये सभी बातें परमेश्वर एक स्त्री में चाहते हैं। ऐसा करना, उनके प्रति प्रेम में उन्हें सत्य बताना है।
लैगिंग्स/चुस्त पैंट अविनीत हैं। ये तंग और शरीर से चिपकी रहने वाली हैं और हरएक घुमाव को प्रदर्शित करती हैं। पुरुष और यहां तक कि किशोर लड़के भी महिलाओं के शरीरों की ओर आकर्षित होते हैं, इस बात की परवाह किए बिना कि नारी अधिकारवादी कितना अधिक परिवर्तन करके नयापन लाना चाहते हैं और पुरुषों को बताना चाहते हैं कि उन्हें कैसे प्रतिक्रिया करनी चाहिए और उन्हें किन चीज़ों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उनके पास क्या अधिकार है कि वे पुरुषों में परिवर्तन की मांग करे यद्यपि वे अपनी इच्छानुसार प्रतिक्रिया, पहनावा और कार्य कर सकती हैं? एक भाई के ठोकर खाने या लड़खड़ाने का कारण न बनने के विषय में क्या विचार है? परमेश्वर द्वारा स्त्रियों को सुहावने वस्त्रों के विषय में दी गई आज्ञा के विषय में क्या विचारते हैं(1 तीमुथियुस 2:9)?
क्या आप ग़ौर करते हैं कि परमेश्वर ने सादगी से रहने की आज्ञा पुरुषों को नहीं दी क्योंकि वह जानता है कि ये पुरुष हैं जिनकी प्रवृति निहारने की होती है और स्त्रियाँ अशालीन पहनावे के द्वारा पुरुषों को आकर्षित करने में अधिक प्रवीण हैं। वो ही है जिसने पुरुष को स्त्री के शरीर की ओर आकर्षित होने के लिए बनाया है और उसने ऐसा एक उचित प्रयोजन हेतु किया है - उन्हें विवाह के संबंध में जोड़ने के लिए, फलवंत होने व वृद्धि करने के लिए।
नहीं, महिलाओं को अपने आपको ढक कर रखने व सादगीपूर्ण रहने के लिए कहना उन्हें शर्मसार करना नहीं है। ऐसी आज्ञा परमेश्वर हमें देता है। कब से परमेश्वर की आज्ञाएं स्त्रियों को शर्मसार करने लग गई हैं?
मुझे हमेशा महिलाओं को शर्मसार करने के विषय में दोषी ठहराया जाता है क्योंकि मैं उन्हें सिखाती हूँ कि वे घर को संभालने वाली बनें, पतिव्रता व विवाह से पहले कुंवारी रहें और यह कि उन्हें न पुरुषों को सिखानेवाली और न कलीसिया में अगुवाई करने वाली, शालीनता से पहनने व कार्य करने वाली बनना चाहिए। सच्ची मसीही स्त्रियों को, परमेश्वर के वचन में उनके लिए दी गईं आज्ञाओं से शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। यदि वे होती हैं, तो उन्हें अपने हृदय की जांच करनी चाहिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे विश्वास में हैं।
इस लघु माध्यमिक विद्यालय के अधिकारियों को प्रत्येक अधिकार है कि वे लड़कियों को लैगिंग्स/चुस्त पैंट के ऊपर लंबी कमीज़ पहनने के लिए कहें ताकि वे लड़कों का ध्यान अपनी ओर न खींचे। लड़कों व पुरुषों को किसी भी निर्लज्ज/अशालीन वस्त्रों से अलंकृत महिला को देखे बिना विद्यालय और कलीसिया जाना चाहिए। नहीं, पुरुषों को लालसा नहीं करनी चाहिए और आपको अपने लड़कों को यह सीख देनी चाहिए कि वे ऐसी महिलाओं से एकदम अपनी नजरें हटा लें क्योंकि वे हमेशा ही महिलाओं को निर्लज्ज/अशालीन वस्त्रों में पाएंगे, परंतु हमें अपनी बेटियों को परमेश्वर की आज्ञाकारिता में सादगीपूर्ण वस्त्रों से सुशोभित रहने और किसी भाई के ठोकर खाने का कारण न बनने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए। इनमें से कुछ भी लड़कियों व महिलाओं को शर्मिंदा करने वाला नहीं है। यह तो सत्य है।
भला तो यह है, कि तू न मांस खाए, और न दाख रस पीए, न और कुछ ऐसा करे, जिस से तेरा भाई ठोकर खाए।
रोमियो 14:21
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श्रेय: TheTransformedWife
Translation: Shivani K
Kash ye sab bate sabhi bahan samajhlete,,, Praise the Lord
ReplyDeleteGood teching thanks for this
ReplyDelete👌👌👌👌
ReplyDeleteThank you GA for this message
ReplyDeleteThank you for this message
ReplyDeleteRight
ReplyDeleteU r right👏 100℅
ReplyDeleteU r right�� 100℅
ReplyDeleteGod bless you and your GA team
ReplyDeleteThis is beautiful 🙂
ReplyDeleteThank you GA😇
Too good thank you GA
ReplyDeleteThank you GA Team 🙏🏻
ReplyDeleteSach much jo behan prabhu mai hai usko apna pehnaba sahi rakhti hai...or un behno ko dusri behno ko batana chahiye ki hame kaisa pehnaba pehnanna chahiye...praise the lord
ReplyDeleteRight sister sach much Jo Behane Prabhu k adesh ki manti ha prabu onse Khush hote ha
ReplyDeleteYes! Thanks for this spiritual info. But I have One more questions! Ye kaha jata hai 777 Jesus ka number hai, but Numerology ke hisaabse to 888 hota hai. I seen it number on Google Wikipedia. Link:- https://en.m.wikipedia.org/wiki/888_(number)#:~:text=In%20Christian%20numerology%2C%20the%20number,the%20number%20of%20the%20beast.
ReplyDeleteSo mai kise sahi sanju ?