इस्लाम की 6 मुख्य बातें


6 मुख्य बातें जो हर ईसाई को जानना जरूरी हैं इस्लाम के बारे में और मुस्लिमस के बारे में।


1.मुसलमान क्या मानते हैं
सब से पहला : इस्लाम का अर्थ है सब्मिशन, इस्लाम की मानी है अधीन रहना और इस्लाम के शिक्षा के अनुसार एक खुदा को वह मानते हैं, नबियों को मानते है, वह किताबों को मानते है, तोराह, जबूर, इंजील और कुरान, वह फरिश्तों को मानते है, अल्लाह के आज्ञाओं को मानते है और न्याय के दिन को मानते हैं।

2.मुसलमानों की पहचान
दूसरी बात : मुस्लिम्स और अरब दोनों अलग-अलग है अरब सारे मुसलमान नहीं है क्योंकि कुछ अरब है जो मुसलमान नहीं है और इस्लाम में दो बड़े झुण्ड है शिया और सुन्नी।

3.इस्लाम की मुख्य शिक्षा
तीसरी बात : इस्लाम के पाँच अरकान है - पहला : शाहदा यानी उनके विश्वास का अंगीकार, दूसरा : सलात, उनका प्रार्थना, नमाज जो दिन में पाँच बार पढ़ते हैं, तीसरा : जकात यानी कि दान पुण्य, दान करना। चौथा : सौम यानी कि रोजा रखना, उपवास रखना और पाँचवा : हज्ज यानी कि पुण्य यात्रा में जाना मेका या मेदिना।

4.इस्लाम का ईसा कौन है?
चौथी बात : इस्लाम सिखाता है, कि यीशु एक अज़ीम पैगम्बर थे वह खुदा नहीं थे केवल एक साधारण नबी थे और इस्लाम सिखाता है कि यीशु मसीह को सूली पर नहीं चढ़ाया गया, यीशु मसीह सूली पर नहीं मरें।

5.मुसलमानों के प्रति गलत फहमी
पाँचवी बात : मुस्लिम्स आतंकवादी नहीं है क्योंकि कुछ लोगों का कहना है और मानना है मुस्लिम्स सारे आतंकवादी है जो बिल्कुल गलत हैं, मुस्लिस्म अच्छे दोस्त है और अच्छे दोस्त बन सकते हैं।

6.आपको और आपके कलीसिया को क्या जानना है?
छठा और मुख्य बात : जो आपके कलीसिया को और हमें जानना जरूरी है कि मुसलमानों को भी उद्धार की जरूरत है, मुसलमानों को भी यीशु मसीह की जरूरत है मत्ती 28:19 वचन में यीशु कहते हैं कि तुम सभी जाति के लोगों को शुभ सन्देश दो और उन्हें चेला बनाओ। तो आपको और अपने मुसलमान दोस्त को भी यीशु मसीह का शुभ सन्देश देना है; यदि कुछ लोग हमारा विरोध करें? हमें शत्रु माने तो भी हम यीशु मसीह के उस अनन्त काल के प्रेम को उन्हें प्रचार करेंगे।

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Translation Correction: Updated

4 comments:

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  2. Yes you are right that all Muslims are not terrorist. But the thing to be noted most of the terrorist are Muslims. This also Christians should know. The reason is this are devote Muslims who are ready to do anything what Islam teaches.

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