आज हम एक तेज़ रफ़्तार से भागती हुई दुनिया में जी रहे हैं। कार्य अनु सूची और दिनचर्या, काम का दबाव और माँगें, सहकर्मी द्वारा दबाव आदि ऐसे मुद्दे हैं जो एक वास्तविकता है। इसीलिए हम में से अधिकांश लोग एक व्यस्त दिन के अंत में तनाव ग्रस्त हो जाते हैं। इसलिए, लोग इस तनाव को दूर करने के लिए कुछ विश्राम और मनोरंजन के समय की तलाश करते हैं जो उनके इस तनाव को कम करने का काम करते हैं। इसके लिए कुछ लोग सिनेमा हॉल में नयी फिल्म देखने, कुछ लोग साप्ताहिक अवकाश का उपयोग सोने के लिए इस्तेमाल कर लेते हैं, जो लोग आधुनिक शहरों में रहते हैं वह कोई पब, बार या नाइट क्लब में चले जाते हैं। कई मसीही लोग भी इस प्रथा का पालन करते हैं। इस प्रक्रिया को पालन करने के द्वारा वह परमेश्वर से प्रार्थना करने, पवित्र शास्त्र का अध्ययन करने, मसीह के साक्षी बनने के साथ-साथ साथी विश्वासियों के साथ सार्थक संगति रखने से चूक जाते हैं। अगर उन्हें यह सच्चाई बताई जाती है तो उनका तर्क होता है कि यह सब सिर्फ उनके तनाव को दूर करने के लिए है थोड़ा सा मनोरंजन था और इसका मतलब यह नहीं है कि वे मसीह से प्यार नहीं करते हैं।
सबसे पहले, हमें यह समझना चाहिए कि यीशु से प्रेम रखने का अर्थ यह है कि हम भी उस पर भरोसा करते हैं। आइए इस मामले पर कुछ बातों पर विचार करें।
सांसारिक मनोरंजन क्या नहीं कर सकता है / दे सकता है
कई मसीही लोग जो कहते हैं और दावा करते हैं कि वे वास्तव मे परमेश्वर से प्रेम करते हैं, वह अपने सामान्य और तनावपूर्ण समय का उपयोग मनोरंजन के अलग अलग साधन में, जैसे कि फिल्मों, क्लबों, पबों, सामाजिक समारोहों, खाने और सोने आदि में व्यतीत करते हैं। वे उस समय का उपयोग आत्मिक उन्नति के लिए प्रयोग नहीं करते हैं। वचन को पढ़ना और उसका अध्ययन करना, प्रार्थना करना, उन लोगों के साथ संगति रखना जो उनका मार्गदर्शन कर सकते हैं, उन्हें सलाह दे सकते हैं और उनके साथ प्रार्थना कर सकते हैं - इन सब चीज़ों के लिए वह समय का उपयोग नहीं करते हैं। एक विश्वासी के रूप में परमेश्वर से प्रेम करना और उस पर भरोसा करने का मतलब है कि हम परमेश्वर का आदर और सम्मान उस हद तक करते हैं कि हम परमेश्वर को और अधिक जानना चाहते हैं, उसके साथ अधिक संगति करना चाहते हैं, और उसके निकट होना चाहते हैं। सिनेमा, क्लब, पब, सामाजिक समारोहों में समय को व्यतीत करते रहना, खाने और सोने में ही अपने समय को देना परमेश्वर के प्रति वह आदर और सम्मान को नहीं दर्शाता है। वास्तव में तो ये चीजें हमारे ह्रदय में परमेश्वर से प्रेम करने, उसके साथ संगति करने और उसके वचन का अध्ययन करने की इच्छा में बाधा डालने के लिए अच्छी तरह से रचे गए हैं।
सांसारिक मनोरंजन क्या करता है
हमारे ह्रदय से परमेश्वर के प्रति प्रेम को लूटने के अलावा, मनोरंजन के ये साधन एक विश्वासी के लिए बहुत ही खतरनाक काम करते हैं। यह एक विश्व-दृष्टिकोण, विचार धारा को प्रस्तुत करता है कि हमारे लिए परमेश्वर आवश्यक नहीं है। मनोरंजन के इन रूपों की आदत से धीरे-धीरे हमें लगता है कि परमेश्वर व्यर्थ और अप्रासंगिक है। मनोरंजन के यह रूप हमें स्वीकार करने लगते हैं की परमेश्वर असत्य है। हम परमेश्वर को कुछ ऐसे दृष्टिकोण के रूप में देखना शुरू करते हैं जहाँ वह हमारे लिए अनावश्यक बन जाते हैं और हमें यह लगने लगता है कि जीवन परमेश्वर के बिना चल सकता है।
यीशु ने क्या कहा…
1 यूहन्ना 5: 3-4 में, प्रेरित यूहन्ना लिखते हैं कि, एक व्यक्ति जो परमेश्वर से प्रेम करता है वह उसकी आज्ञाओं का पालन करने में प्रसन्न होगा। ऐसे व्यक्ति के लिए परमेश्वर के वचन का पालन करना तनावपूर्ण नहीं बल्कि एक खुशी की बात होती है। और जब हम विश्वास के द्वारा इस प्रकार का जीवन जीते हैं, तो हम उन सभी चीजों को दूर कर देंगे जो उसकी आज्ञाओं को मानने में बाधक हैं। हमारा विश्वास ही इस जीत में मुख्य बात है। इसलिए, जैसे विश्वास से हम समझते हैं कि परमेश्वर कौन है, उससे प्रेम करते हैं और उसकी आज्ञा का पालन करते हैं; वैसे ही हम संसार के प्रति प्रेम और संसार की अभिलाषाओं को भी हराते हैं जो एक समय हमारे ऊपर प्रभुत्व रखता था जिसकी वजह से हम परमेश्वर से प्रेम नहीं रखते थे और उनकी आज्ञाओं का पालन नहीं करते थे। संसार, संसार के प्रति प्रेम, संसार के द्वारा परोसा गया मनोरंजन अब हमें नियंत्रित नहीं करता है लेकिन हम अब परमेश्वर के प्रेम से नियंत्रित होते हैं।
यीशु की इच्छा क्या है
एक मसीही विश्वासी के रूप में, यदि हम तनाव को दूर करने के लिए मनोरंजन और विश्राम आदि के सांसारिक पैमाने / नमूने को अपना रहे हैं, तो हमें 2 पतरस 1: 10-11 पर विचार करना चाहिए। हमें अपने वर्तमान का विश्लेषण करना है, जिन चीजों से हम प्यार करते हैं, जिसके प्रति आकर्षित होते हैं और जिन बातों में लिप्त होते हैं। यह विश्लेषण हमें अपने उद्धार के मुद्दे के बारे में गंभीर होने में मदद करेगा। अधिकांश लोग अतीत की यादों या अनुभवों के आधार पर अपने उद्धार के आश्वासन का विश्लेषण करने की कोशिश करते हैं लेकिन वे अपने वर्तमान के मुद्दों को पूरी तरह से अनदेखा कर देते हैं। हमें सावधान रहना चाहिए कि हम अपने पापमय ह्रदय पर भरोसा न करें और धोखे में न रहें। इसलिए हमें अपने पापों का पश्चाताप करना चाहिए और प्रभु की ओर देखना चाहिए।
आमीन !
Ps. Monish Mitra
Thank you
ReplyDeletePraise God 🙌
Ye article logo ke liye kaafi Helpful hai.