यदि यीशु खुदा है, तो खुदा की परीक्षा कैसे हो सकती है?
जय मसीह की त्रिज्ञा परमेश्वर के नाम से आप सब का स्वागत है और यह विडीयों सिरीज़ हम जारी रखेंगे जहाँ पर हम ऐसे सवालों को, हम जवाब देगें जो यीशु मसीह के दैविक्ता के विरुद्ध और बाइबल के विरुद्ध उठाई जाती हैं। बहुत सारे हमारे मुसलमान दोस्त याकूब की किताब 1:13 वचन के अनुसार यह कहते हैं, कि परमेश्वर की परीक्षा नहीं होती। लेकिन मत्ती की किताब में 4 अध्याय में हम देखते हैं; कि यीशु मसीह की परीक्षा रेगिस्तान में और उस जंगल में होती हैं शैतान द्वारा,
तो उनका तर्क और प्रश्न यह है, यदि यीशु खुदा हैं तो उनकी परीक्षा कैसे हो सकती है? लेकिन यहाँ पर मत्ती 4 अध्याय में यीशु मसीह की परीक्षा होती है। तो इससे यह साबित होता है कि यीशु मसीह खुदा नहीं।
जवाब देखने से पहले हमें यह जानना जरूरी है, कि यह जो शब्द “परीक्षा” है यह सन्दर्भ के अनुसार इसके अर्थ अलग-अलग हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर पुराने नियम में व्यवस्थाविवरण 6:16 वा वचन में हम पढ़ते हैं। "तुम अपने परमेश्वर यहोवा की परीक्षा न करना, जैसे कि तुमने मस्सा में उसकी परीक्षा की थी।" तो पुराने नियम में क्या परमेश्वर की परीक्षा हुई थी? जी “हाँ” वही चीज हम (निर्गमन17:1-2; मलाकी 3:15; भजन संहिता 106:14) वचन में पढ़ते हैं। पुराने नियम में परमेश्वर की परीक्षा हुई; तो क्या इसका मतलब यह है, याकूब 1:13 के अनुसार यहोवा पुराने नियम के परमेश्वर नहीं है, क्योंकि उनकी परीक्षा हुई थी। बिल्कुल “नहीं” हमें यह समझना जरूरी है, कि कौन से सन्दर्भ में याकूब ने यह कहा कि परमेश्वर की परीक्षा नहीं हो सकती।
सन्दर्भ जानने के लिए हम याकूब 1:13 वा वचन को पढ़ेंगे, "जब किसी की परीक्षा हो, तो कोई यह न कहें कि मेरी परीक्षा परमेश्वर की ओर से होती है; क्योंकि न तो बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा हो सकती है...। "बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा नहीं हो सकती।"
तो यह पंक्ति जो है, स्पष्ट तरीके से हमें अर्थ समझा देता हैं कि याकूब कहना क्या चाहतें है।
दो प्रकार की परीक्षाएँ होती हैं।
पहला : एक परीक्षा जो अंदुरूनी रूप से इंसान के अन्दर से पाप करने की लालसा, बुराई करने की लालसा होती है और दुसरा : जो परीक्षा का अर्थ यह हो सकता हैं, जाँचना तो याकूब यहाँ पर यह कहते हैं कि परमेश्वर कभी भी ऐसे परीक्षा में नहीं पड़ता है; जिससे वह कोई बुरा काम करें यानी कि परमेश्वर के अन्दर से बुराई करने जैसा या फिर पाप को पुरा करने जैसा लालसा वाला कोई भी परीक्षा नहीं आता है। यह जो दुसरा प्रकार का परीक्षा है, उसे हम कहते हैं "जाँचना" जब पुराने नियम मे हम पढ़ते हैं कि परमेश्वर की परीक्षा हुई हैं। तो इसका मतलब है कि परमेश्वर की परीक्षा ली गई, दूसरों के द्वारा इस्राएली लोगों के द्वारा, पापी लोगों के द्वारा न कि परमेश्वर के अन्दर से!
तो उसी प्रकार मत्ती 4 अध्याय में हम मानते हैं, कि यीशु मसीह की परीक्षा हुई। लेकिन यह परीक्षा यीशु मसीह के अन्दर से लालसा को पुरी करने के लिए, पाप को पूरी करने के लिए आई हुई, आशायें और लालसाएँ नहीं है बल्कि बाहरी रूप से शैतान के द्वारा यीशु को जाँचने के लिए आया गया परीक्षा हैं।
भजन संहिता 106:14 वा वचन में हम देखते हैं, लोगों ने जंगल में परमेश्वर की परीक्षा ली और उसी प्रकार मत्ती 4 अध्याय में शैतान ने उसी रेगिस्तान जंगल में यीशु मसीह की परीक्षा ली। पुराने नियम के परमेश्वर उस परीक्षा से विजय हुए, और क्योंकि वह परीक्षा अन्दर से नहीं बल्कि बाहर से आया। वैसे ही यीशु मसीह भी उस परीक्षा में विजय हुए, क्योंकि वह अन्दर से नहीं बल्कि बाहर से आया। तो यह जो वचन है परमेश्वर के दैविक्ता के ऊपर कोई भी नहीं सवाल उठाता है; यह बस पढ़ने वालों की गलती है हमें जानना जरूरी है कि वह परीक्षा सन्दर्भ में क्या अर्थ लाता है। यदि आप सच्चाई से सत्य को ढूँढते है आप बाइबल पढ़ते समय उस शब्द का अर्थ सन्दर्भ में पढ़े, तो आपको पता चल जायेगा कि वाकई में वह वचन यीशु के दैविक्ता के विरुद्ध जा रही है या फिर दैविक्ता के लिए वह बहुत बड़ा मजबूत सबुत बनते जा रहा है।
प्रभु यीशु आपको आशीष करें!
Transcription by Nini Pandit
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(Transcription Correction welcome on gloryapologeticspodcast@gmail.com)
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