मत्ती 10:34-36 का अर्थ क्या है?


 मत्ती 10:34-36 का अर्थ क्या है?

क्या मत्ती 10:34-36 में यीशु मसीह लोगों को भड़का रहे हैं? क्या यीशु मसीह तलवार और क़त्ल करने की शिक्षा दे रहें हैं?

जवाब जानिए!

कुछ लोग हैं जो यीशु मसीह से बहुत नफरत करते है और बाइबल को भी नफरत करते हैं और हमेशा यही कोशिश में रहते है कि किसी भी हालत में हम बाइबल को गलत साबित करें और यीशु मसीह को गलत साबित करें। यह वह लोग हैं, जो कभी खुद अपने हाथों से बाइबल को निकालकर, ईसाइयत क्या हैं?, यीशु कौन है? और बाइबल क्या कहती है? कभी पढ़ते नहीं है और खुद अनुसंधान नहीं करते। यह वह लोग हैं जो सिर्फ और सिर्फ इंटरनेट में आने वाली बातों को फेसबुक में आने वाली फ़ोटो को और यूट्यूब में आने वाली वीडियों के ऊपर भरोसा कर के, ईसाई लोगों के साथ तर्क करने चले जाते है, वाद विवाद करने चले जाते है। और वह उनको गलत साबित करने की कोशिश करते हैं और यह भी बताने की कोशिश करते हैं कि बाइबल गलत है, ईसाइयत गलत है, और यीशु मसीह भी गलत है।

यह वह लोग हैं, जो समय नहीं निकालना चाहते है यह जानने के लिए कि उनका बयान सही है या गलत है।

वैसे ही एक उदाहरण को हमने पिछले विडीयों में देखा। जहाँ पर एक हिंदू धर्म गुरु और एक मुस्लिम प्रचारक ने लूका की किताब 19:27 वचन को गलत तौर पर प्रस्तुत किया। हमनें उस विडीयों में बताया कि उस वचन को सन्दर्भ में कैसे समझना चाहिए। लेकिन कुछ लोग हैं जो मन में ठान रखें हैं कि हम समझेंगे नहीं, हम चाहे कितने भी सबूतों को लाकर दिखायेगें। हम अपने आँखों को बंद कर लेगें; क्योंकि वो यह लोग हैं जो यीशु मसीह से नफरत करते हैं। यह वो लोग हैं जो सच्चाई से बैर करते हैं, रोशनी से डरते हैं।

वैसे ही एक उदाहरण को आज हम लोग देखेंगे जो कि हम पढ़ सकते हैं। मत्ती की किताब 10:34-36 यह वचन को लेकर आकर कुछ लोग यह कहने की कोशिश करते हैं कि यीशु मसीह शान्ति का राज कुमार नहीं, यीशु मसीह इस दुनिया में एक दूसरे के विरुद्ध लोगों को भड़काने के लिए आया?

तो चलिए हम वह वचन को पढ़ कर देखते हैं और जानेंगे उसका अर्थ क्या है?

"यह मत सोचो कि में धरती पर शान्ति लाने आया हूँ। शान्ति नहीं बल्कि मैं तलवार का आवाहन करने आया हूँ। मैं यह करने आया हूँ: पुत्र पिता के विरोध में, पुत्री माँ के विरोध में, बहू सास के विरोध में होगें, मनुष्य के शत्रु, उसके अपने घर के ही लोग होंगे।" (मत्ती 10:34-36)

तो यह वचन में यीशु कहते हैं कि तुम यह मत सोचो कि मैं शान्ति देने के लिए आया हूँ और शान्ति लेकर आया हूँ बल्कि मैं तलवार का आवाहन करने आया हूँ, एक दुसरे के विरोध लोगों को खड़ा करने के लिए आया हूँ।

तो यह वचन का मतलब क्या है? क्या यीशु शान्ति का राज कुमार हैं? जैसे हम पुराने नियम में और नये नियम में कुछ वचन पढ़ते हैं, जिसमें लिखा है, "(Jesus Christ is the Prince of Peace) अगर यीशु मसीह शान्ति के राज कुमार हैं, वह शान्ति के दाता हैं"  दुनिया में शान्ति लायें हैं। लोगों को प्रेम सिखाने आये हैं, तो क्यों उन्होंने यह वचन में ऐसे कहा कि मैं लोगों को एक दूसरे के विरुद्ध खड़े करने आया हूँ? और यह मत सोचों शान्ति लाया हूँ बल्कि तलवार का आवाहन करने आया हूँ।

आगे बड़ने से पहले मैं एक घटना आपको याद दिलाना चाहूँगा, गतसमनी का बगीचा यह गतसमनी के बगीचे में जब यीशु मसीह को कैद करने के लिए सैनिक आते हैं। यीशु मसीह के चेलों में से जो मुख्य चेला पतरस है तुरन्त अपने चाकू को निकाल कर एक सैनिक के कान को काट देता हैं। यीशु मसीह ने वहाँ पर क्या किया। पतरस को शाबाशी दी? वाह! पतरस तुम ने मेरी रखवाली में एक सैनिक को काट दिया। बड़ीया काम किया “नहीं” यीशु मसीह ने वहाँ पर पतरस को डाँटा और यह कहा कि जो तलवार उठायेगा उसका अन्त तलवार से होगा।

तो वहाँ पर यीशु मसीह तलवार का विरोध कर रहे हैं ,पतरस को डाँट रहे हैं और यहाँ पर कह रहे कि है मैं शान्ति लाने नहीं आया हूँ बल्कि मैं तलवार का आवाहन करने आया हूँ। तो इसका मतलब क्या है? 

दोस्तों हमें यह जानना जरूरी है जैसे मैं हमेशा अपने विडीयों में कहता हूँ कि जब यीशु मसीह प्रचार करते हैं वह प्रचार का तरीका क्या है? उसका सन्दर्भ होता हैं।

यीशु मसीह का प्रचार किस तरीके से होता है, यह जानने से पहले एक आम आदमी, एक साधारण व्यक्ति जब बात करता है उसके बातों में क्या होती हैं। आपने सुना होगा जब कोई अच्छा काम बाहादुरी का काम कर देता है। तो दुसरा व्यक्ति उसको कहता है यह तो बहुत बड़ा शेर निकला; तब जब यह व्यक्ति कहता है कि यह बहुत बड़ा शेर निकला, इसका मतलब यह नहीं कहता है कि वह व्यक्ति वाकई में शेर है या फिर हम जब कलीसिया में जाते है, हम जवान है, हमे बड़े लोग देखकर कहते है, तुम कलीसिया के खम्बे हो। तो इसका मतलब यह है क्या हम वाकई में कलीसिया के खम्बे है? कितने चौड़े बड़े खम्बे हम! नहीं। जब भी लोग अपने बातों में किसी को देखकर कहते हैं कि तुम शेर निकले तुम तो खम्बे हो। तो वह शब्द का वास्तविक अर्थ नहीं माना जाता है, वह शब्द से क्या दर्शाता है वह शब्द से वह क्या कहना चाहते हैं? यह हमें जानना जरूरी है, एक इंसान के बाहादुरी को दर्शाने के लिए उसे शेर कहा जाता हैं। एक जवान को कलीसिया में खम्बा कहा जाता है, क्योंकि वह भविष्य में उस कलीसिया का एक मुख्य व्यक्ति बननेवाला है।

वैसे ही जब यीशु मसीह प्रचार करते हैं उनके भी प्रचार में बहुत सारे ऐसे शब्द इस्तेमाल करते हैं; जो कोई बातों को समझाने के लिए वह इस्तेमाल करते है। यहाँ पर यीशु मसीह ने कहा तलवार का आवाहन, तो हमें जानना जरूरी है कि वह शब्द तलवार का मतलब क्या है? वह किस बात को दर्शाता है? जब तलवार की बात करते है तलवार किस लिए इस्तेमाल किया जाता है, काटने के लिए, अलग करने के लिए, आगे का वचन क्या लिखा है? आगे का वचन कहता है, पुत्र पिता के विरोध में, पुत्री माँ के विरोध में, बहू सास के विरोध में होगें, मनुष्य के शत्रु उसके घर के ही लोग होंगे।

तो दोस्तों! मैं आपको यह चीज बताना चाहूँगा, यदि कोई व्यक्ति कोई मुस्लिम धर्म से है या हिन्दू धर्म से है या फिर कोई भी विश्वास से है। वह अचानक यीशु को स्वीकार करता है, यीशु मसीह के प्रेम को देखकर, उनके सूली के दशा को देखकर, यीशु के बलिदान को देखकर, वह बहुत ही मोहीत होकर, बहुत ही मन में महसूस कर कर कि भैया! यीशु मसीह इतना प्यार करता है मुझ से ऐसे परमेश्वर, ऐसे मुक्ति दाता को मैं कैसे भुला सकता हूँ? कैसे छोड़ सकता हूँ? यह बोल कर जब वह व्यक्ति जब यीशु के पास आता है। तो क्या उसके घरवाले उसको पार्टी देगें? उसकी तारीफ करेंगे? यह बोलेगें वहा बेटा कि मैंने तुमको 20-25 साल से इतना खिलाया पीलाया मैंने तुमको पढ़ाया इतने साल से तुम नमाज़ पढ़ते थे, इतने साल से तुम ग्रन्थ गीता पढ़ते थे तुम आज ईसाई बन गए। वाह! ऐसे उनकी तारीफ करेंगे “नहीं” वह परिवार के लोग यह लड़के के विरोध उठेंगे यह है। यह वचन का मतलब और वह घरवालों को लगेगा कि यह लड़का इतने साल से हमारे साथ था आज खुद निर्णय लेकर हमारे विरोध खड़ा उठा है। तो यह वचन जो कहता है, कि पुत्र पिता के विरोध में यानी कि मान लो अगर पिता ने यीशु मसीह को स्वीकार किया या फिर पुत्र ने यीशु मसीह को स्वीकार कर लिया तो ऐसा हो सकता है कि पिता लगेगा कि मेरा बेटा मेरे विरोध में हो गया या फिर पुत्र को लगेगा कि मेरा पिता मेरे विरोध कर रहा है क्योंकि यीशु मसीह को स्वीकार किया।

दोस्तों हम ऐसे बहुत सारे उदाहरण को देख सकते है, जहाँ पर यीशु मसीह को स्वीकार करने के कारण परिवार वाले उस व्यक्ति का क़त्ल तक कर चुके हैं। हम ऐसे भी उदाहरण देखते हैं जो घर से भी लोग निकाल दिये जाते है।

तो यह वचन जो तलवार कहते हैं यीशु मसीह वह वास्तविक तलवार को, वास्तविक चाकू को नहीं दर्शाता है। बल्कि यह दर्शाता है कि जब हम यीशु को स्वीकार करते हैं, दुनिया हम से नफरत करेगी। तो क्या इसका मतलब यह है कि यीशु मसीह ने दुनिया में शान्ति नहीं लाया। यीशु यह दुनिया में शान्ति लायें वह कहते हैं कि यदि कोई तुम से नफरत करता है, तुम उसके लिए प्रार्थना करों, यदि कोई तुम को मारने आता है एक गाल पर तो उसको दुसरा गाल दो, यदि कोई तुमको जबरदस्ती एक मील लेके जाता हैं  तो दो मील उसके साथ जाओ। तो यीशु मसीह शान्ति से जरूर सिखाते हैं। लेकिन जब भी बाइबल में यीशु कहते हैं कि मैं शान्ति लाने आया हूँ। हमें यह जानना जरूरी है कि यीशु कौन से शान्ति के बारे में बात कर रहे है।

उत्पत्ति की किताब 1और 2 अध्याय में पाप के कारण मनुष्य जो है, परमेश्वर के शान्ति को खो देता है और रोमियों की किताब 5:1 वचन में हम यह पढ़ते हैं कि यीशु मसीह का बलिदान, यीशु मसीह के कारण उस खोए हुए परमेश्वर के रिश्ते में हम जुड़ जाते हैं और मनुष्य और परमेश्वर के बीच में एक शान्ति हो जाता हैं। तो मुख्य शान्ति की जब बात की जाती हैं तो वह परमेश्वर और इंसान के बीच में है और जब इंसान परमेश्वर के साथ शान्ति बनाता है। तो क्या होगा दोस्तों, रोशनी की लड़ाई अंधेरे से होगी, बुराई की लड़ाई अच्छाई से होगी, मानलो एक व्यक्ति बहुत बुरा था वह दोस्तों के साथ मिलकर गालियां देता था, दारू पीता था, गलत हिसाब लिखता था। अचानक से वह यीशु मसीह को स्वीकार करके बदल जायेगा; उसको वह सारी चीजें छोड़नी पड़ेंगे जो उसे पाप में लेकर जाता हैं। इसके वजह से उसके दोस्त उससे बैर करेंगे उसके विरोध उठेंगे और यह भी सोचने लगेंगे कि गलत हिसाब लिखना छोड़ दिया है, इसके वजह से हम फंसेंगे यह तो हमारे विरोध खड़ा हो गया है।

तो यह वचन उस बात को दर्शाता है कि जब हम यीशु मसीह के पास आ जायेंगे। लोग हमसे नफरत करेंगे और उनको लगेगा कि हम उनसे नफरत कर रहे हैं। लेकिन सच यह है दोस्तों कि हम यीशु मसीह के साथ शान्ति में आ रहे है तो हम में यह दुनिया में फर्क देखा  और उस फर्क को दुनिया स्वीकार नहीं कर सकती है। जैसे हम युहन्ना की किताब 1अध्याय में पढ़ते हैं कि यीशु मसीह को भी उनके लोगों ने स्वीकार नहीं किया। तो यह यीशु मसीह के आगमन से उनके और उनके परिवार के बीच में ही जो है, तलवार आ गया है।

आज एक उदाहरण देता हूँ, जब मैं 2007-2008 में यीशु मसीह को पुरी तरह मैंने स्वीकार किया, एक बार शाम को प्रार्थना करके घर पर आया। तो मेरे घरवालों ने मेरा जो कपड़ा हैं वह सब बांधकर रखा था और जैसे ही मैं दरवाजे पर आया वह कपड़े का बन्डल मेरे मुंह पर फेंक दिया कि तुम घर से चले जाओ। तो उस समय में मुझे लगा कि मेरे घरवाले मेरे विरोध खड़े हो गए और मेरे घरवालों को लगा कि इतने साल से हमनें इसको पाला लेकिन अब ये पुरी तरह यीशु मसीह को स्वीकार के उन्हीं के पीछें जा रहे हैं, प्रार्थना में लगा हुआ है, उनको लग रहा था कि मैं उनके विरोध में हो गया।

तो यीशु मसीह यह वचन से यह दर्शाने की कोशिश कर रहे हैं दोस्तों वह यह नहीं कह रहे हैं कि जाओ तुम घात करों, क़त्ल करों, एक दूसरे के साथ लड़ाई करों। लेकिन यह बात याद रखिए अगर लोग आपसे नफरत करते हैं, यीशु मसीह यूहन्ना की किताब 15:18 वचन में कहते हैं, "तुम बिल्कुल निश्चित रहो और यह जान लों कि जब लोग तुमसे नफरत करते हैं, यह जान लों कि तुम से नफरत करने से पहले लोगों ने यीशु मसीह से नफरत किया है।" तो शान्ति की बात होती है परमेश्वर और मनुष्य के बीच में। तो यह वचन का सन्दर्भ यह है इस वचन का मतलब यह है, जो सिर्फ और सिर्फ इंटरनेट के सहारे पर है जो सिर्फ और सिर्फ यीशु मसीह को बदनाम करने में तुले हुए हैं, वह यह सत्य को सुनेंगे तो भी वह समझने की कोशिश नहीं करेंगे टिप्पणी में फिर से गालियां लिखेंगे।

हम प्रभु यीशु मसीह के प्रेम के लिए इस दुनिया में जी रहे हैं, लेकिन उसी समय में हम इस दुनिया के साथ शान्ति नहीं बना सकते हैं, दुनिया के पाप के साथ शान्ति नहीं बना सकते हैं। जब दुनिया के साथ हम शान्ति नहीं बनायेंगे। तो उनको लगेगा कि हम उनके विरोध हो गए हैं, हमारे विरोध वह हो जायेंगे।

यह हैं, मत्ती 10:34-36 का अर्थ। तो खुशखबरी है! कि जब यीशु कहते हैं मैं तलवार लाया हूँ, वह तलवार किसके बीच में है? वह तलवार अंधेरा और रोशनी के बीच में हैं, वह तलवार बुराई और अच्छाई के बीच में है, और यह तलवार अच्छा है आप शब्द को उसके सन्दर्भ में समझिये।

प्रभु आपको आशीष करें। 

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Transcription by Nini Pandit

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