क्या यीशु सिर्फ इस्राएल के लिए भेजे गए? (डॉ. जाकिर नाइक को जवाब)




 क्या यीशु सिर्फ इस्राएल के लिए भेजे गए? (डॉ. जाकिर नाइक को जवाब)

डॉक्टर ज़ाकिर नाइक : लेकिन जितने भी पैगम्बर, आखरी पैगम्बर मोहम्मद सल्लोहशलूम के पहले आए। वह सिर्फ अपनी कोम के लिए भेजे गये थे और उनका पैगाम मुक्कमल तौर पर सिर्फ एक दौड़ के लिए था, मिसाइल के तौर पर कुरान में जिक्र आता है कि ईसा अलैहिस्सलाम सिर्फ बनी इस्राएल के लिए भेजे गए थे।  अल्लाह ताला फरमाते सुराह नं 3:49 में हमनें ईसा अलैहिस्सलाम को भेजा पैगम्बर बनी इस्राएल के लिए, जब हम बाइबल पढ़ते हैं, बाइबल में भी यह पैगाम लिखा गया है कि ईसा अलैहिस्सलाम सिर्फ बनी इस्राएल के लिए भेजे गए थे कई जगह लिखा है, मत्ती की सुसमाचार 10:5-6 में भी लिखा है, ईसा अलैहिस्सलाम फरमाते हैं अपने साथियों से कहते हैं, (Go in not in to way of the Gentiles) अन्यजातियों के पास मत जाइए, अन्यजाति वह लोग हैं जो ग़ैर यहूदी हैं। अगर कोई इंसान गैर यहूदी हैं उसे कहते है "अन्यजाति" ईसा अलैहिस्सलाम फरमाते हैं आप मत जाइए गैर यहूदी के पास (Enter not into the city of the Samaritians) आप सामरी के शहर में मत जाइए। लेकिन आप जाइए उन भटके हुए बनी इस्राएल के पास भटके हुए यहुदी के पास ईसा अलैहिस्सलाम फरमाते हैं सुसामाचार मत्ती में अध्याय 15:24 में, मैं नहीं भेजा गया हूँ। लेकिन सिर्फ भटके हुए बनी इस्राएल के लिए, मैं सिर्फ यहूदियों के लिए भेजा गया हूँ। लेकिन जैसे मैंने कहा कि जितने भी पैगम्बर मोहम्मद सल्लोहशलूम के पहले आए वह सिर्फ अपनी कोम अपनी उम्मद के लिए भेजे गए थे.....…।

फ्रांसिस : जैसे कि आपने इस विडीयों क्लीप में देखा, डॉक्टर ज़ाकिर नाइक बाइबल से प्रमाण करते हैं कि यीशु जो है केवल एक कोम के लिये यानी कि एक ग्रुप, एक जाति इस्राएल के लिए भेजें गए हैं और केवल यहूदियों के लिए भेजें गए हैं। अरे नहीं! यह तो बुरा खबर है! तो यीशु हमारे लिए नहीं भेजें गए? यीशु केवल इस्राएल के लिए भेजे गए? तो हमारा विश्वास का क्या? तो क्या हम ईसाइयत छोड़ दें? 

निर्णय लेने से पहले आप इन बातों को थोड़ा बारीकी से, थोड़ा नजदीकी से सोचकर, जांचकर देखिए। क्या है करके? इनके जैसे, डॉक्टर ज़ाकिर नाइक जैसे और भी बहुत सारे मुस्लिमस है वह यह दावा करते हैं कि बाइबल के अनुसार हम प्रमाण कर सकते हैं कि यीशु केवल इस्राएल के लिए भेजे गए हैं और पूरे दुनिया के लिए नहीं? यह वादविवाद को लेकर वह ईसाई को समझाएंगे कि मोहम्मद कुरान में लिखा है, कि वह आखरी नबी हैं। तो आखरी नबी होने के कारण उनको अनुसरण करना चाहिए, उनके पीछे चलना चाहिए और उनके शिक्षा को पालन करना चाहिए। 

लेकिन बाइबल जब हम खोलते हैं, पुरा कहानी बदल जाएगा; जैसे मैंने आपको पहले भी कहा और यह दावा को, यह वादविवाद को सामने रखते हुए, मुस्लिमस जो दो बाइबल के वचन संकेत करते हैं कि जैसे हमेशा की तरह डॉ.ज़ाकिर नाइक ने भी जो याद करके, मनन कर के आए थे। 

वह है मत्ती की पुस्तक 10:5-6 वचन मैं आपको यह पढ़कर दिखाना चाहूँगा।

"यीशु ने इन बारहों को बाहर भेजते हुए आज्ञा दी। गैर यहूदियों के क्षेत्र में मत जाओ; तथा किसी भी सामरी नगर में प्रवेश मत करो, बल्कि इस्राएल के परिवार की खोई हुईं भेड़ो के पास ही जाओ।"

दूसरा वह संकेत करते हैं। (मत्ती की पुस्तक 15:24) "यीशु ने उत्तर दिया, मुझे केवल इस्राएल के लिए, इस्राएल के लोगों के लिए भेजा गया है और खोई हुई भेड़ो के अलावा मैं भेजा नहीं गया हूँ।"

तो डॉक्टर ज़ाकिर नाइक ने भी यह वचन पढ़कर दिखाया हमारे लिए, सब से पहले हमें यह जानना जरूरी है कि यीशु का जन्म जो हैं, अब्राहम, इसहाक, याकूब, यह पंक्ति से हुआ है यानी कि यह पीढ़ी से हुआ है और यीशु जो हैं, एक प्रतिज्ञा या वादा का परिपूर्णता है, "(Jesus Christ is the Fullfillment of the Promise given to Abraham) अब्राहम को जो वादा परमेश्वर ने किया उसके परिपूर्णता के एक बालक हैं।" अब अब्राहम ने परमेश्वर का आज्ञा पालन किया जो कि हम अच्छे से जानते है। जिस कारण परमेश्वर उनसे प्रसन्न होकर उनको दो भागी आशीष दिया।

पहिला : उनका आशीष यह था कि मैं तुम्हारी इस्राएल की जाति को जो है, इस दुनिया में सबसे ज्यादा आशीष करुँगा। (I will bless the Nation of Israel)।

दूसरा : भाग का आशीष यह था, वादा यह था कि इस इस्राएल के द्वारा मैं पूरे राष्ट्र को, पूरे देशों को, पूरे दुनिया को जो हैं; मैं आशीष करुँगा और यह वादा जो परमेश्वर ने सदियों पहले अब्राहम से की थी। वह यीशु मसीह के जन्म में पुरा हुआ।" 

जब यीशु मसीह का जन्म हुआ यीशु को लेकर यीशु के माता ने उनको अपने भवन में लेकर गए समर्पण के लिए उस समय उस भवन में एक बुजुर्ग जो बहुत ही समर्पित यानी कि जो भक्तिमान आदमी थे। उन्होंने यीशु मसीह को अपने हाथ में लिया यीशु बालक को हाथ में लेकर उन्होंने आत्मा में भरकर, आत्मा में होकर उन्होंने कहा और उसका अभिलेख हम बाइबल में पढ़ सकते हैं। 

लूका की पुस्तक 2:30-32 तक मैं पढ़ता हूँ, आपके लिए: "क्योंकि मैं अपनी आँखों से तेरी उस उद्धार का दर्शन कर चुका हूँ; जिसे तू ने सभी लोगों के लिए सभी लोगों के सामने तैयार किया है। यह बालक, कौन सा बालक? "यीशु" जो वह समर्पित आदमी ने अपने हाथ में रखा है; वह बालक यीशु गैर यहूदी के लिए, ध्यान से सुना आपने... गैर यहूदी के लिए टेढ़े मार्ग किसके? परमेश्वर के मार्ग को उजागर करने के हेतू प्रकाश का स्त्रोत है और तेरे अपने इस्राएल के लोगों के लिए यह महिमा है।"

तो यह देखिए, अब्राहम को जो वादा परमेश्वर ने किया सदियों पहले वह यीशु मसीह के जन्म के बाद पूरा हो रहा है और यह वचन हमें सफाई बताता है कि यीशु मसीह का सेवा भी यह दुनिया में दो भागी है। जैसे कि अब्राहम का आशीष दो भागी था कि मैं तुम्हें और तुम्हारे जाति को पीढ़ी को आशीष करुँगा और दूसरा तुम्हारी पीढ़ी को लेकर पूरे देश को आशीष करुँगा। 

वैसे ही यीशु मसीह का जो सेवा है। वैसे ही इस दुनिया में दो भागी है; उनका पहला मकसद इस्राइलियों के पास जाकर अपने आप को प्रस्तुत करके परमेश्वर को प्रकट करना था। क्योंकि वह उसी कोम से थे, वह उसी यहूदी जाति से थे और यह यहूदी जाति जो है; मेरे दोस्तों, परमेश्वर के द्वारा विशेष तौर पर, विशेष कार्य के लिए चुनें गए लोग हैं और मैं यह केवल बाइबल से नहीं कहूँगा कुरान से भी मैं कह सकता हूँ। यह यहूदी लोग इस्राएली लोग अल्लाह के द्वारा यानी कि परमेश्वर के द्वारा चुने गए लोग हैं, कहाँ पर पढ़ता हूँ, सुराह 7,38:45-46 आयात में पढ़ता हूँ, और इस की पुष्टीकरण आप पढ सकते हो, सुराह अल-बकरा 2:47 आयात में लिखा है, दुर्भाग्य से यह परमेश्वर के चुने गए लोग, इस्राएली जो हैं अपने हृदय को कठिन किए और परमेश्वर को छोड़कर अपने-अपने मर्ज़ी के मार्ग को उन्होंने चुन लिया। इस कारण यीशु को जरूरी था कि इन चुनें हुए लोगों के पास जाकर उनके बीच में चमत्कार वाला, अद्भुत वाला सेवा करें; "ताकि वे लोग जान जाए कि यीशु मसीह ही वह मसीहा हैं यीशु ही वह मसीहा है।" जो यह यहूदी लोग सदियों से कई सालों से इंतजार कर रहें हैं और यीशु का सेवा शुरुआत यही से हुआ कि जाकर उनको बोले कि मेरे भाइयों, मेरे यहूदी दोस्तों, कि जिस मसीहा की तुम इतने सालों से इंतजार कर रहे थे। जो परमेश्वर ने तुम्हारे छुटकारे के लिए वादा किया था "वह मसीहा मैं हूँ" तो उनका मकसद पहला वहाँ पर था। 

लेकिन उसके बाद अगर आप लोग देखेंगे, 1तीमुथियुस 2:4-6 तक जब आप पढेंगे, "हमें यह भी जानना जरूरी है कि यीशु मसीह का जो त्याग था जो अर्पण था क्रूस पर उन्होंने अपना खून बहाकर जान दिया; वह केवल एक कोम के लिए नहीं था बल्कि पूरे मानवजाति के लिए था" 

यह आप इस वचन में पढ़ सकते हैं और यह बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यीशु ने अपना जान दिया, अपना खुन बहाया आपके लिए मुसलमान भाई आपके लिए और मेरे लिए खुन बहाया ताकि उनके इस त्याग से उनके इस बलिदान से कि हमकों अनन्त काल का जीवन परमेश्वर से पक्का है।

वचन स्पष्ट कहता है कि यीशु मसीह यहुदियों और गैर यहुदी लोगों के लिए इस दुनिया में आए। हम पढ़ते हैं कि यीशु ने अपने चेलों को कहा हम पढ़ सकते हैं।

प्रेरितों की किताब 1:8 में लिखा है, बल्कि "जब पवित्र आत्मा तुम पर आएगा; तुम्हें शक्ति प्राप्त होगी और यरूशलेम में समूचे यहुदी में और सामरिया में और धरती के छोरों तक, कोने-कोने तक तुम मेरा साक्षी बनों।" 

अगर यीशु मसीह केवल इस्राएल के कोम के लिए यहूदियों के लिए भेजे गए तो यह वचन में कहा कि पवित्र आत्मा तुम पर आएगा। तुम यरूशलेम से शुरुआत करते हुए; तुम यहूदी पुरे देश में सामरी में फिर पुरे दुनिया भर में गवाही रहोगे। क्या कह रहे हैं डॉक्टर ज़ाकिर नाइक? और आप पढ़ सकते हैं, 

मत्ती की पुस्तक 28:19 वचन, "जाओ और सभी देशों के लोगों को मेरा चेला बनाओ, यीशु ने यह नहीं कहा कि जाओ सभी यहूदियों को मेरा चेला बनाओ वह पहला भाग ही सेवा है।" जिसके लिए यहूदियों के बीच में सेवकों को यानी उनके चेलो को यीशु ने भेजा लेकिन उसके बाद यीशु ने कहा कि तुम जाओ सभी जाति को चेला बनाओ।" यीशु खुद कहते हैं यूहन्ना 8:12 वचन में "मैं दुनिया की ज्योति हूँ, (I am the light of the World)" और मेरे दोस्त अरबी में इसका मतलब है अनुर, अनुर किसको नाम दिया गया है। अल्लाह के 99 नाम में से एक हैं अनुर, अगर वह नाम में किसी नबी के लिए इस्तेमाल करूँ? आप मुझे मार डालोगे। लेकिन यीशु ने खुद कहा कि "मैं अनुर हूँ" यानी कि वह कह रहे हैं कि "मैं अल्लाह हूँ यीशु कहते हैं कि मैं परमेश्वर हूँ।"

सबसे दिलचस्प बात यूहन्ना की पुस्तक 3:16 वचन  "God so loved the world that he gave his only begotten son whoever believes in him shall not perish but have eternal life" यानी कि "परमेश्वर ने इस संसार से यहूदियों से नहीं, इस्राएल से नहीं, इस संसार से इतना प्रेम किया कि अपना एकलौता पुत्र दे दिया ताकि जो कोई उन पर विश्वास करें वह नाश न हो परन्तु अनन्त काल का जीवन पाए।" 

यह केवल डॉक्टर ज़ाकिर नाइक वह कह रहे हैं कि यीशु मसीह केवल इस्राएल के लिए भेजे गए; एक कोम के लिए भेजे गए, डॉक्टर ज़ाकिर नाइक भाई साहब आप अपना कुरान खोलकर पढ़िये, कुरान भी कहता है, कि यीशु पुरे मानव जाति के लिए भेजा गया है। यह कहा पर मिलता है, सूरह अल-मुतमहिना जहाँ पर यीशु के बारे में और उसके माता के बारे में लिखा है, सूरह अल-मुतमहिना 19:21 (We wish to appoint him (Jesus) as sign unto man and mercy for many) अब कुछ लोग कहेंगे कि sign uinto man मतलब हाँ इस्राएल के लिए अरबी में क्या लिखा है? अरबी में लिखा है, "आयतुल लिंनसी", आयतुल लिंनसी का मतलब यह है, केवल इस्राएलियों की नहीं, पुरे मानव जाति के लिए मानवता के लिए। (अरबी में आप जाँच करके देख सकते हो)

हम देखते हैं, डॉक्टर ज़ाकिर नाइक इस वचन का क्या करने वाले हैं? इस आयत का क्या करने वाले हैं? और अगर यीशु मसीह यहाँ पर भी समस्या हैं; मेरे दोस्तों सबसे पहली बात आप अस्वीकार कर रहे थे कि यीशु मसीह एक कोम के लिए भेजे गए थे। सबूत प्रदान करने के बाद हाँ ठीक है फ्रांसिस! तुमने बाइबल से भी दे दिया और कुरान से भी दे दिया। 

यीशु मसीह सारे मानवजाति के लिए भेजें गए, आप स्वीकार करोगे भी तो समस्या है क्या वह समस्या हैं? वह समस्या यह है कि अगर यीशु मसीह इस सारे मानवजाति के लिए भेजे गए; तो दूसरा नबी की क्या जरूरत था। जब एक व्यक्ति पहले से सभी मानवजाति के लिए भेजा गया है। तो आप यह कहना चाहते हो कि यीशु मसीह उतने सर्वसामर्थी नहीं थे? उतने कार्यक्षम नहीं थे? उनके अन्दर उतनी खुबी नहीं थी वह हार गए जिसके वजह से मोहम्मद को आकर काम पूरा करना पड़ेगा। कुरान में तो यह नहीं सिखाया है कुरान में तो यह दिखाता है कि "यीशु बहुत उत्तम है" लेकिन जब हम ऐसे व्यक्ति बात सुनेगें डॉक्टर ज़ाकिर नाइक का वह खुद भी उलझन में है और दूसरों को भी उलझन में डालेंगे। तो अगर आप बाइबल खोलकर, कुरान खोलकर स्पष्ट प्रमाण हमें मिलता है। 

"यीशु मसीह एक मात्र कोम के लिए नहीं, बल्कि पुरे मानवजाति के लिए भेजे गए थे।"

Transcription by Nini Pandit

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