समस्याओं की वास्तविकता भाग - 1


परिचय : प्रिय बहनों, प्रभु यीशु मसीह के नाम में और "GA WOMEN INDIA" की तरफ से आप सब सभी का इस ऑडियो सीरीज में मैं स्वागत करती हूँ। 

जी.ए. वूमन बहनों के लिए बना हैं और इसमें बहनों की आत्मिक उन्नति से जुड़ी हुईं हर एक विषय पर हम बात करेंगे आज का विषय जो हम ने लिया हैं वह है़ "समस्याएँ" कईं बार बहनें, महिलाएँ समस्याओं का सामना करती रहती हैं और किसी से साझा नहीं कर पाती, किसी को बता नहीं पाती इसलिए जी.ए वूमन की पहल होगी कि हम सब समस्याओं के बारे में बात करें। फिर उनके कारणों के बारे में और उसके साथ-साथ समाधान के बारे में बात करें।

यह समाधान पूर्ण रूप से हो सकते हैं, मानसिक रूप से या समस्याओं के साथ ही जीवन चलेगा। हम ने इसे तीन भाग में बाटा हैं। 

पहिले भाग में हम उन बहनों को रखेंगे जो परिवार से जुड़ी हुईं समस्याओं का सामना कर रहीं हैं।

दूसरे भाग में हम उन बहनों को रखेंगे जो लंबे समय से बीमारियों का सामना कर रही हैं; और कुछ बहनें पैसों की तंगी से परेशान हैं या हमारी बहनें दोनों ही समस्या यानी कि बीमारी और पैसे की परेशानी से जुँझ रही हैं।

तीसरे भाग में हम उन बहनों को रखते हैं जिन्हें लगता हैं कि वह समस्याओं का सामना कर रही हैं पर वास्तविकता कुछ और ही हैं। इस संसार में रहते हुए जब हम अपने चारों ओर देखते हैं तो हमें मालूम चलता है़ कि चारों ओर समस्या हैं और हर व्यक्ति किसी ना किसी समस्या का सामना कर रहा हैं। 

पूरा संसार पाप की चपेट में हैं और इसी कारण दुष्टता, अन्याय, लड़ाई-झगड़े, झूठ, नफरत, बदले की भावना, कालीगलोज एक दूसरे को नीचा दिखाने की चाहत को हम लोगों में देख सकतें हैं। दुःख इस बात का है़ कि हमारे मसीह भाई बहनों के बिच में मसीह परिवारों के बिच में और कलीसियाओं में भी इस तरह की बातें पाई जाती हैं सभी बातों को देखकर हमारा मन कमजोर होता हैं, हमें लगता हैं कि अब कोई उपाय बचा नहीं हैं कि हम अपनी समस्याओं से बाहर आ सकें।

आज हम कोशिश करेंगे, कि समस्याओं को वचन की दृष्टि से समझें, न कि अपनी बुद्धि से; परमेश्वर को अवसर दे कि आज वह आकर आपकी समस्याओं, उसके कारण और उसके समाधान जो प्रभु के वचन से आते हैं आपको दें सकें।

हमारी समस्या यह है़ कि हम केवल अपनी समस्याओं तक ही केंद्रित रहते है़, अपनी समस्याओं पर ही ध्यान लगाए रहते हैं उस परमेश्वर की ओर नहीं देखते जो इसका समाधान कर सकते हैं।

आइए, हम शुरू करते हैं जैसा कि हमने बताया कि पहले भाग में हम उन बहनों को रखेंगे जो परिवार से जुड़ी हुईं समस्याओं का सामना कर रही हैं। यह समस्याए या तो आपके रिश्तेदारों से मिल रही है़ या फिर आपके पति या उनके परिवार से, कईं बार बहनों की समस्या उनके पति स्वयं होते हैं, कईं बार बहनें महसूस करती हैं कि पति का झुकाव परिवार के बाकी सदस्यों पर ज्यादा है़ और उन पर कम। 

आपको आपका मूल्य उस घर में कुछ भी नहीं है़ ऐसा प्रतीत होता है़ क्योंकि आप का जो हक है़ जो समय आपको मिलना चाहिए था, जो जगह आपको मिलनी चाहिए थी वह किसी ओर को मिल रही हैं और मन कड़वाहट से भर जाता हैं। कईं बार समस्याए सगे सम्बन्धियों द्वारा खड़ी की जाती हैं रिश्तेदार या सगे सम्बन्धी हर बात में हस्तक्षेप करते है़ अपना नियंत्रण परिवार वालों पर लेने की कोशिश करते हैं; छोटी-छोटी बात पर लड़ाई झगड़े करना, झूठी बातें करना, हर तरफ आपकी बुराई करके आपके बारे में गलत चित्र प्रस्तुत करना यह उनके प्रतिदिन का काम हो जाता है़। जब ये सब बातें आप पति से करना चाहती है़ तो घर का माहौल खराब हो जाता है़। लड़ाई झगड़े होने लगते है़ और धीरे-धीरे मन में कड़वाहट और भी बढ़ती जाती है़, और आप सोचती है़ कि कब ये सब बातें ठीक होंगी? 

आज के समय में माता पिता होना आसान बात नहीं है़ यदि आपके बच्चें जवान हैं तो समस्या और भी कठिन हो जाती है़ बहनें अपने बच्चों से प्रेम करती है़ और उनका अच्छा चाहती है़। लेकिन कई बार बच्चें अपने जीवन में रोकटोक और किसी भी प्रकार की सलाह को पसंद नहीं करते, उनके जीवन में बाहर वालों का नियंत्रण ज्यादा होता हैं बच्चें सम्मान और प्यार बाहर वालों को ज्यादा देतें है़ और आपको कम; मैंने यहाँ पर कुछ ही समस्याओं के बारे में बात की है़।

आइए, हम कारणों के बारे में जाने लेकिन जो कारण मैं प्रस्तुत करने जा रही हूँ वह पहले भाग में आने वाली बहनों के लिए हैं। 

पहले भाग में हम परिवार से जुड़ी हुई समस्याओं के बारे में बात कर रहे थे।

कारण पहिला : परमेश्वर के साथ एक सही सम्बन्ध का न होना।
कारण दूसरा : वचन को समझने में चूक होना।
कारण तीसरा : लोगों को खुश करने का प्रयत्न करना।
कारण चौथा : प्रभु के बनाए हुए तरीके से कार्य न करना।
कारण पाँचवा : धीरज न धरना, धैर्य न रखना। 
कारण छठा : प्रभु के लोगों के साथ संगति का न होना।

‌आइए, हम पहले कारण पर चर्चा करते है़, आप चौंकिए नहीं कि मैंने कहा परमेश्वर के साथ एक सही सम्बन्ध का न होना। कई बार हम परमेश्वर को समझने में गलती कर जाते है़ उसका कारण है़ कि हम अपनी सांसरिक बुद्धि का इस्तेमाल करते हैं यह बात सत्य है़ कि परमेश्वर आप से बहुत प्रेम करते है़ और आपको समस्याओं में देखकर खुश नहीं है़ परन्तु दुःखी है़ लेकिन दुःख की बात हमारे लिए यह है़ कि हम भी परमेश्वर को और उसके चरित्र को समझते नहीं है़; हम ज्यादा ध्यान इस बात पर देते है़ कि "परमेश्वर प्रेमी है़।" लेकिन इस बात को भूल जाते है़ कि "परमेश्वर पवित्र भी है़" और "न्याय भी है़।"

यदि हम भजन संहिता 103:3 पढ़ें और उसके हम 3,6 और 8 पद देखेंगे, यह दाऊद का भजन है़, यह दाऊद ने लिखा हैं इसके तीसरे पद में लिखा हैं। "जो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता और तेरे सब रोगों को चंगा करता हैं।" अगर हम तीसरे पद को देखेंगे तो वहाँ पर लिखा हैं कि "परमेश्वर क्षमा करता हैं और चंगा करता हैं।" 

‌छठे पद में देखें वहाँ पर लिखा हैं, "यहोवा सब पिसे हुओं के लिए धार्मिकता और न्याय के कार्य करता है़ यानी कि इस पद के अनुसार परमेश्वर धर्मी और न्यायी हैं।"
‌आठवे पद में हम देखें तो उसमें लिखा हैं, "कि यहोवा दयालु और अनुग्रहकारी और विलम्ब से कोप करने वाला और अति करुणामय है, यानी कि यहाँ पर परमेश्वर को दयालु और अनुग्रहकारी विलम्ब से कोप करने वाला बताया  गया हैं।"

‌3 पद से लेकर 8 तक 3,6 और 8 पद में परमेश्वर के बारे में जो लिखा हैं "क्षमा करने वालें है़, चंगा करने वाले है, धर्मी हैं, न्यायी है़, दयालु हैं, अनुग्रहकारी है़, विलम्ब से कोप करने वाले यानी कि क्रोध में धीमे, अति करुणामय परमेश्वर हैं।" 

जिस परमेश्वर के पास आप सहायता मांगने जा रहें हैं उस परमेश्वर की इन गुणों को कभी न भूले यदि हम 10 पद और पढ़ें तो उसमें लिखा हैं, "उसने हमारे पापों को के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया।" यदि उसने हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं किया तो परमेश्वर आपके सताने वालों के पापों के अनुसार उनसे कैसे अलग सा व्यवहार कर सकता हैं?
‌जिन लोगों के द्वारा आपको दुःख पहुँच रहा हैं या आप जिन लोगों को के द्वारा सताए जा रहे हैं परमेश्वर अपने कार्य को उन से नहीं परन्तु आप से शुरू करेगा। परमेश्वर आपको पहले दिखाएगा आपकी कमियाँ, आपकी कमजोरीयाँ और फिर उन पर आएगा जो आपको सताते हैं। आप घबराइए नहीं यदि मैंने कहा, कि परमेश्वर आप से शुरू करेगा।

कई बार हम अपने जीवन की कमी-घटी को भूल जातें हैं कि हमें कहाँ बदलने की आवश्यता है़? उस पर ध्यान ही नहीं देतें पर अपने सताने वालों की गलतियाँ हमें दिखती हैं। परमेश्वर ने हो सकता हैं ऐसे लोगों के बिच में आपको इसलिए रखा हैं कि आप उनके जीवन के लिए प्रार्थना करें यदि आपको अवसर मिला बदलने का, क्षमा प्राप्त करने का ठीक उसी रीति से परमेश्वर आपके सताने वालों को मौका दे रहा हैं कि वह अपने पापों से मन फिराय और परमेश्वर की क्षमा को प्राप्त करें इसलिए कई बार बहनें अपने आपको ऐसे परिस्थिति में और ऐसे परिवारो में पाती हैं। यदि आपको परमेश्वर के साथ सही सम्बन्धों में आना है़ तो आपको परमेश्वर के वचन के अनुसार समझना होगा।

यदि आप मेरे साथ खोल लीजिए, मत्ती की किताब 5:43, 44 पद से हम आगे को पढेंगे 43 पद इस तरीके से कहता है़, "तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, अपने पड़ोसी से प्रेम रखना और अपने बैरी से बैर परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिए प्रार्थना करो। जो 43 आयात है़ उसमें दिखाया गया है़ कि संसार किस रीति से कार्य करता है़। जो हम से प्यार करते है़ हम उनसे भी प्रेम करते है़, जो हम से बैर रखते है़ हम उनसे भी बैर रखते है़। लेकिन परमेश्वर का तरीका 44 पद में इस तरह से कि "जो हम से बैर रखते है़ हमें उनको प्रेम करना है़ जो हमें सताते है़ हमें उनके लिए प्रार्थना करनी है़।

45 पद में लिखा हैं, "जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की संतान ठहरोगे।" तभी हम परमेश्वर की बेटियाँ कहलाएंगे जब हम परमेश्वर की इस इच्छा को पूरी करेंगे क्योंकि वह भले और बुरे दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है़ और धर्मी और अधर्मी दोनों पर मेह बरसाता है़। परमेश्वर यहाँ पर दिखाना चाह रहें है़ कि परमेश्वर दोनों लोगों में चाहे बुरे है़, चाहे अच्छे है़ दोनों के ऊपर अपना सूर्य चमकाता है़, दोनों के ऊपर अपनी बारिश को करता है़ वह कुछ लोगों के लिए नहीं करता लेकिन वह अपनी करूणा को, अपनी दया को वह बराबर दिखा रहा है़।

अगर 46 पद देखें उस पद में लिखा है़ कि, क्योंकि यदि  तुम अपने प्रेम रखनेवालों से ही प्रेम रखो, तो तुम्हारे लिए क्या फल होगा? क्या महसूल लेनेवाला भी ऐसा ही नहीं करते? कहने का तात्पर्य है़, कहने का मतलब यह है़ कि अगर हम अपने प्रेम करने वालों से प्रेम करें और हम अपने बैर रखने वालों से बैर रखें? तो हम बिल्कुल संसार की रीति से कार्य कर रहें है़।

यहाँ पर हम परमेश्वर के सोचने के स्तर को देख सकते हैं, "परमेश्वर अपने बैरियों से प्रेम करने को कह रहे हैं" पर परिवार के सभी लोग हमारे अपने है़ बैरी नहीं। तो उनके बदलने के लिए परमेश्वर ने आपको उस परिवार में रखा है़ ताकि परमेश्वर आपके द्वारा कार्य करें आप निराश न हो कि आपको बलि का बकरा बनाया जा रहा है़। थोड़ी देर के लिए विचार कीजिए यदि ये सब प्रभु में आते है़ उसमें जीवन पाते है़ तो आपको कितनी खुशी प्राप्त होगी? आप उन्हें प्रतिदिन क्षमा करें और विश्वास करें कि प्रभु एक दिन उनके कठोर मन को आपके लिए मुलायम करेगा। 

हमें पाप की ताकत को समझना होगा आपके बैरी आपके अपने नहीं या वह नहीं जो आपको सता रहे हैं परन्तु पाप है़ इसलिए प्रभु चाहता है़ कि हम सही रूप से प्रभु को जाने और लोगों को पर पाप की पकड़ को भी समझें, पाप ही के कारण लोग एक दूसरे को सताते है़, पाप ही के कारण लोगों को दूसरे लोगों के साथ दुष्टता करने में अच्छा लगता है़ इसलिए पाप को अपने जीवन में से हटाना हैं और प्रभु की अधीनता में रहकर दूसरों के जीवन में हटाने का प्रयत्न करना है़ इसमें समय लग सकता है़ यदि हम सोचते है़ कि यह तरीका कठिन है़ तो प्रिय बहनों आप कुछ भी कर लें निराशा ही हाथ में लगेगी यदि आपको लगता हैं कि कोई और तरीका है़ जिससे हम लोगों को जीत सकते है़ तो आपको निराशा ही लगेगी क्योंकि आप समस्या की जड़ पर नहीं परन्तु ऊपरी भाग पर काम कर रहे हैं जो कि हमें कोई फायदा नहीं पहुँचाती।

हो सकता है़ आपको अपने तरीके से कुछ समय के लिए आराम मिल जाए लेकिन कोई और खड़ा हो जाएगा आपको परेशान करने के लिए, सताने के लिए यह संसार इन्हीं लोगों से भरा पड़ा हैं। आप कब तक बचेंगे? विश्वासी लोगों की समस्या यह है़ कि वह अपने आपको विश्वासी तो कहते है़। लेकिन अपने मसीह जीवन को गंभीरता से नहीं लेते परमेश्वर के वचन को अपने जीवन में प्रथम स्थान नहीं देते इसलिए यह ये सारी समस्याए हैं।


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