प्रिय बहनों, एक बार फिर से मैं आपका इस ऑडियो सीरीज में स्वागत करती हूँ। यह ऑडियो सीरीज का चौथा भाग हैं इसमें हम कारण नंबर चार पर चर्चा करेंगे।
कारण नंबर चार : प्रभु के बनाए हुए तरीके से कार्य न करना।
इस कारण को समझने के लिए हम बाइबल में 1 शमूएल 15 अध्याय खोलेंगे और उसके कुछ पदों को पढेंगे, इसके पृष्टभूमि इस प्रकार हैं कि शमूएल नबी के द्वारा शाऊल को राजा होने के लिए इस्त्राएलियों पर नियुक्त किया जाता हैं। ताकि शाऊल राजा पर परमेश्वर यहोवा की अगुवाई में इस्त्राएली प्रजा को चला सकें।
जब हम इस 15 अध्याय को पढ़ते हैं, तो हमें पता चलता है़ कि अमालेकियों पर चढ़ाई करने के लिए इस्त्राएली सेना को भेजा जाता है़। राजा शाऊल को शमूएल नबी के द्वारा परमेश्वर का यह वचन पहुँचता है़। जो आपको पद 3 में मिलेगा।
1शमूएल 15:3 "अब जा और अमालेकियों पर चढ़ाई करके उसका जो कुछ है़ वह सब पूर्णता नाश कर दें और उसको भी मत छोड़ना। परन्तु पुरुष, स्त्री, बालक, शिशु, गाय-बैल, भेड़-बकरी, ऊँट-गधा सबको सत्यनाश कर देना; यह आज्ञा परमेश्वर के द्वारा राजा शाऊल को मिली।"
लेकिन 9 पद में हम क्या पढ़ते है़? 1शमूएल 15:9
"परन्तु शाऊल और लोगों ने अगाग के साथ सर्व उत्तम भेड़-बकरियों, गाय-बैलों, मोटे-मोटे पशुओं, मेम्नों और सब अच्छी वस्तुओं को बचा लिया, उनका सर्वनाश नहीं करना चाहते थे परन्तु प्रत्येक तुच्छ निकम्मे तथा अनुपयोगी वस्तु को ही उन्होंने पूर्णता नष्ट किया।
यहाँ पर अगाग जो है़ अमालेकियों का राजा है़, आप सभी बहनें इस पूरे अध्याय को पढ़िएगा जिससे आपको समझ आएगा कि यह क्या घटना थी?
अब हम 13,14 और 15 पद को पढेंगे।
"शमूएल शाऊल के पास पहुँचा, तब शाऊल ने उससे कहा, तू यहोवा की ओर से धन्य हैं मैंने यहोवा की आज्ञा पूरी की है़। परन्तु शमूएल ने कहा फिर मेरे कानों में भेड़-बकरियों का, मेम्नों का मिमियाना और गाय-बैलों का रम्भाना क्यों सुनाई पड़ रहा हैं? शाऊल ने कहा, वे उन्हें अमालेकियों के पास ले आए है क्योंकि लोग अच्छे से अच्छी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों को बचा लाए है कि उन्हें तेरे परमेश्वर यहोवा के लिए बलि चढ़ाए परन्तु विशेष को हमने समूल नष्ट कर दिया है़। परमेश्वर ने शाऊल राजा को आज्ञा दी थी कि जो कुछ अमालेकियों का है़, यहाँ तक कि अमालेकियों का राजा अगाग उसको भी खत्म कर दों। लेकिन राजा शाऊल कुछ जानवर, समान और राजा अगाग को नाश नहीं कर सका बल्कि बड़ी चतुराई से कहता है़, कि यह सब समान परमेश्वर को बलि चढ़ाने के लिए रखा हैं।"
लेकिन जब हम 22 पद में पढ़ते हैं, तो वहाँ पर शमूएल नबी क्या कहता हैं? 1शमूएल 15:22
"क्या यहोवा होमबलि और बलिदानों से उतना प्रसन्न होता है़, जितना कि अपनी आज्ञाओं के माने जाने से?
सुन, आज्ञा पालन बलिदान से बढ़कर और ध्यान देना मेढ़ों की चर्बी से उत्तम है़।"
हम यहाँ पर क्या सीखते हैं? परमेश्वर को राजा शाऊल के द्वारा इस प्रकार का बलिदान नहीं देना चाहिए था, परन्तु परमेश्वर चाहते थे जो कहा गया था उस आज्ञा का पालन करना।
जब भी परमेश्वर हमारे खराब परिस्थिति में हम से कुछ करने को कहते हैं तो हम राजा शाऊल की तरह उस रीति से न करके अपने तरीके खोजते हैं, समस्याओं को हल करने के लिए। बहुत जरूरी है़ कि इन घटनाओं से जो इतिहास में हुए हम कुछ सीखें, क्योंकि यदि हम चाहते हैं कि परमेश्वर हमारे लिए कुछ करें तो जरूरी है़ कि हम भी परमेश्वर के नियम अनुसार कार्य को करें, उसके बताए हुए तरीके से कार्य करें।
परमेश्वर अपने वचन के अनुसार आप से अपेक्षा रखता है़। वह अपने वचन के बाहर और अपने चरित्र के बाहर आपको कार्य करने के लिए नहीं बोलता, परमेश्वर ने स्वयं हमारी सामने में अपना उदाहरण प्रस्तुत किया। उसने लोगों से प्रेम किया, लोगों को क्षमा किया, परमेश्वर पिता की इच्छा को क्रूस पर पूरा किया वही परमेश्वर आप से और हम से यह उम्मीद करता है़ कि हम उसके बनाए हुए नियमों के अनुसार कार्य करें न कि अपने तरीके से।
प्रिय बहनों, जब इस ऑडियो के शुरू होने के बारे में आपको पता चला तो आपके मन में खुशी होगी कि हमारी समस्याओं के बारे में बात होगी। लेकिन ऑडियो में जब आप ही के बदलने की बात की गई तब हो सकता है़ मन निराश हुआ होगा और ऐसा मन में आया हो कि हम तो कितनी समस्याओं में पहले से ही हैं और हमें ही बदलने की बात की जा रही हैं।
प्रिय बहनों, आप निराश न हो प्रभु आपको सामर्थ्य से बाहर कार्य करने को नहीं कहेंगे, कई बार हम परमेश्वर की दूरगामी सोच को समझ नहीं पाते। जब यहूदी लोग रोमी सरकार के अत्याचार से, परेशान होकर रात दिन मसीहा के आने का इंतजार कर रहे थे और सोच रहे थे कि मसीहा आएगा और हमें इस रोमी सरकार से छुड़ाएगा।
यीशु मसीह जब यहूदियों के बीच में आए तो बहुत चमत्कारों को दिखाया और लोग उन चमत्कारों के गवाह थे कि उसने कैसे बड़े-बड़े काम किए : अंधों को आँखें दी, लंगड़ों को पाव दिया, मुर्दों को जिला दिया इतने बड़े और आश्चर्यकर्म करने वाला यीशु मसीहा उनके साथ था। उन्हें आशा थी कि वह अपने सामर्थ्य से रोमी सरकार को तहस नहस कर देगा इसलिए यहूदी उसे अपना राजा बनाना चाहते थे। लेकिन जब यीशु क्रूस पर चढ़ाए गए तो वे सभी निराश हो गए पूरी तरह से टूट गए यहाँ तक कि यीशु मसीह के चेले भी छोड़कर भाग गए और डर गए। वे सब परमेश्वर की बड़ी योजना को समझ ही नहीं पाए कि परमेश्वर उन्हें पाप से छुड़ाने आया था। रोमी सरकार से छूटने के बाद क्या कोई दूसरा देश उन पर चढ़ाई नहीं करता? सब यहूदी बस कुछ देर की आजा़दी बारे में सोच रहे थे।
परमेश्वर उन्हें आजा़द करना चाहते थे पाप से, जब यीशु मसीह तीसरे दिन जिंदा हो उठें तो शैतान और उसकी हर योजना को जो उसने मनुष्य के विरोध में सोच थी, अपने पैरों तले कुचल दिया।
आइए, हम एक और व्यक्ति के बारे में जानें, जिसके बारे में हमें 2 राजा 5:1 पद में मिलेगा।
अरामिया के राजा की सेना का नामान नाम एक सेनापति था वह राजा के दृष्टि में महान और प्रतिष्ठित था क्योंकि उसके द्वारा यहोवा ने अरामिया को विजय दी थी वह बड़ा शूरवीर भी था परन्तु कोढ़ी था। "नामान प्रतिष्ठित सेनापति था परन्तु कोढ़ी था" नामान के घर में इस्त्राएली लड़की थी जो बन्दुवाई में उसके घर में काम किया करती थी। उसी लड़की के द्वारा एलीशा नबी के बारे में नामान को पता चला और नामान अपनी पूरी तैयारी के साथ एलीशा नबी के घर पहुँचा परन्तु एलीशा ने नामान को कुछ करने के लिए कहा, इसको हम 10, 11 और 12 पदों में देख सकते है़, "तब एलीशा ने एक दूत से सन्देश भेजा, जा यरदन में सात बार स्नान कर तब तेरा शरीर चंगा हो जाएगा और तू शुद्ध हो जाएगा परन्तु नामान अत्यंत क्रोधित हुआ और यह कहते हुए चला गया देखों, मैंने तो सोचा था वह निश्चय मेरे पास बाहर आएगा और खड़े होकर यहोवा अपने परमेश्वर से प्रार्थना करेगा और कोढ़ की स्थान पर अपना हाथ फेरकर मेरा कोढ़ दूर कर देगा। क्या दमिश्क की अबाना और पर्पर नदियाँ इस्त्राएल के सारे जलाशयों से उत्तम नहीं? क्या मैं उन में स्नान करके शुद्ध नहीं हो सकता? सो, वह क्रोधित होकर लौट गया।"
यहाँ पर नामान कुछ सोचकर आया था कि इस रीति से उसके चंगाई होगी लेकिन जो उसको बोला जा रहा था वह उस पर नामान क्रोधित हो जाता हैं और उस कार्य को करने बजाय क्रोधित होकर चला जाता है़।
13 पद में उसके सेवक उसको क्या बोलते हैं? आइए उसे पढ़ते है़, "तब उसके सेवकों ने पास आकर उससे कहा, हे हमारे पिता यदि नबी तुझे कोई कठिन कार्य करने को कहता तो क्या तू न करता? तो जब वह कहता है़ कि स्नान करके शुद्ध हो जा तो इसे कितना और न मानना चाहिए?"
यहाँ पर उसके सेवक नामान से विनती करते है़ जैसा एलीशा नबी कह रहा हैं वैसा किजिए, भले ही तरीका आपको पसंद नहीं लेकिन आज्ञा मानिए और फिर 14 पद में लिखा है़, "अतः उसने जाकर परमेश्वर के जन के वचन के अनुसार यरदन में सात बार डुबकी लगाई और उसके देह छोटे बच्चें के देह समान हो गई और वह शुद्ध हो गया।
मान लीजिए, नामान आज्ञा मानता ही नहीं? क्या वह शुद्ध हो पाता? ऐसी गम्भीर बीमारी से? जिस समय पुराने समयों में किसी को कोढ़ हो जाता था तो उसको शहर के बाहर कर देते थे, मृत्यु तक जब तक उसकी मृत्यु नहीं हो जाती थी।
यहाँ पर उसके आज्ञा पालन करते ही नामान अपने बीमारी से छूट गया। तरीका भले ही नामान को पसंद नहीं था लेकिन वही से रास्ता निकला।
यदि आप और मैं अपनी समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं तो प्रभु का नियम अपनाइए, लोगों की दृष्टि में, संसार की दृष्टि में यहाँ तक कि आपकी और हमारी दृष्टि में यह मूर्खता लगें। लेकिन फिर भी प्रभु के नियम को और उसके तरीकों को महत्त्व दिजिए।
1कुरिन्थियों 1:25 पद में क्या लिखा है़?
"क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से अधिक ज्ञानवान है़, और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से अधिक बलवान है।"
"क्योंकि क्रूस की कथा नाश होनेवालों के लिए मूर्खता है़, परन्तु हम उद्धार पानेवालों के लिए परमेश्वर का सामर्थ्य है़" (1कुरिन्थियों 1:18)।
परमेश्वर ने आपको इस संसार में अकेला परेशान होने के लिए नहीं छोड़ दिया वह सदा सर्वदा आपकी बारे में सोचते हैं आपके लिए उत्तम करना चाहते है़। लेकिन हम उसकी आज्ञाओं को न मानकर परमेश्वर के बड़े-बड़े कामों को अपने जीवन में होने से रोक देते है़।
अभी भी समय है़, हम परमेश्वर को अपने जीवन में प्रथम स्थान पर रखें और परमेश्वर को स्वामी जानकर उसकी आज्ञा पालन करें, उसके तरीकों को अपनाए।
प्रभु आप सभी को आशीष करें!
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