प्रिय बहनों, इस ऑडियो सीरीज में मैं फिर से एक बार आपका स्वागत करती हूँ, हम कारण नंबर पाँच पर आ चुकें है़।
कारण नंबर पाँच है़ : धीरज न धरना, धैर्य न रखना।
इस भाग दौड़ की जिंदगी में धीरज जैसे शब्द खो गया है़, ट्राफिक में फंसे लोग जल्दी से अपने मंजिल पर पहुँचना चाहते हैं। कहीं पर लाइन लगी हुई तो हमारा नंबर कब आएगा? ऐसा उस लाइन में खड़े लोग सोच रहे होते हैं।
आप ने टी.व्ही ऐड्स देखें हुए होंगे, जिसमें दिखाते है़ कि दो मिनिट में नूडल्स तैयार, हर चीज फटाफट, किसी भी काम में धैर्य रखने की आवश्यकता नहीं है़। सब कार्य जल्दी जल्दी हमारे जीवन में हो जाए ऐसा हम सोचते है़ परन्तु मसीही जीवन में इस रीति से नहीं होता; धीरज की सही अर्थ को हम केवल बाइबल में ही पढ़ और सिख सकते हैं।
यहाँ पर इस प्रकार लिखा है़, "तब यहोवा ने अब्राहम से कहा, अपने देश, अपने कुटुम्बियों, तथा अपने पिता के घर से उस देश को चला जा जो मैं तुझे दिखाऊँगा। मैं तुझ से एक बड़ी जाति बनाऊँगा और मैं तुझे आशीष दूँगा और तेरा नाम महान करूँगा इसलिए तू आशीष का कारण होगा। जो तुझे आशीर्वाद देंगे मैं उन्हें आशीष दूँगा तथा जो श्राप दें, मैं उसे श्राप दूँगा और पृथ्वी के सब घराने तुझ में आशीष पाएंगे यहोवा के इस वचन के अनुसार अब्राहम चल पड़ा और लूत भी उसके साथ गया। अब्राहम तो पचहत्तर वर्ष का था जब उसने हारन से कूच किया।"
4 पद में हम पढ़ते है़, "जब अब्राहम यहोवा परमेश्वर के आज्ञा अनुसार अपने देश को, अपने रिश्तेदारों को और अपने पिता के घर को छोड़कर उस देश की ओर चल पड़ा जिसके लिए परमेश्वर ने उसे देने की प्रतिज्ञा की थी। साथ ही उससे बड़ी जाति बनाऊँगा ऐसे प्रतिज्ञा भी की; जिस वक्त यहोवा परमेश्वर ने यह सारे वादे किए उस समय अब्राहम के उम्र पचहत्तर वर्ष की थी" (उत्पत्ति 12:1-4)।
यदि हम उत्पत्ति 16 अध्याय पढ़ें तो पाते है़ कि परमेश्वर की ओर से जब बच्चा देने में देरी हुईं तो अब्राहम और सारा ने अपना तरीका ढूँढ लिया बच्चें की आशीष को पाने का; यह बात सत्य है़ कि पचहत्तर वर्ष में जो वादा परमेश्वर ने कहा था उसके पूर्ति होने में देरी हो रही थी और हम देखते है़ कि उनके धैर्य न रखने से सारा और उसका मिस्त्री दासी के बीच सम्बन्ध खराब हो गया।
उत्पत्ति के 21:5 पद में हम पढ़ते हैं, कि "अब्राहम सौं वर्ष का था जब वह इसहाक का पिता बना इससे पहले अब्राहम इश्माएल का पिता बन चुका था जो कि मिस्त्री दासी हाजिरा से उत्पन्न हुआ।"
इसी अध्याय 21: 9, 10 और 14 पद में हम क्या देखते है़? आइए, हम पढ़ते है़, "तब सारा ने मिस्त्री हाजिरा के पुत्र को जो इब्राहिम से उसको उत्पन्न हुआ था वह उपहास करते देखा, अतः वह इब्राहिम से बोली, इस दासी को उसके पुत्र सहेत निकाल दें क्योंकि इस दासी का पुत्र मेरे पुत्र इसहाक के साथ उतरा अधिकारी न होगा। अतः इब्राहिम ने बड़े सबेरे उठकर पानी से भरी चमड़ी की थैली और रोटी ली और हाजिरा को देकर उसके कन्धे पर रखी और उसका लड़का उससे देकर विदा किया वह विदा होकर चली गई और बेर्शबा के जंगल में भटकती फिरी।
यहाँ पर हम क्या देखते है़? यहाँ पर हम देखते हैं कि हाजिरा और उसका पुत्र इश्माएल को अब्राहम अपने परिवार से बाहर कर देता है़। यहाँ पर धीरज न रखने के कारण अब्राहम और सारा को अनावश्यक परेशानी होती हैं और उनको अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है़।
आइए हम एक और घटना को बाइबल से देखेंगे और यह हमें मिलेगा 1शमूएल 13 अध्याय में पढ़ते है़ कि शाऊल राजा अपनी सेना के साथ गिलगाल जगह पर ठहरा हुआ था और शमूएल नबी की आज्ञा अनुसार पलिश्तियों पर आक्रमण करने के लिए ठहरा हुआ था। लेकिन जब शमूएल के आने में देरी हुईं और पलिश्ती लोग इस्त्राएलियों से युद्ध करने के लिए अपनी सेना के साथ मिकमाश में छावनी डाली, तब इस्त्राएली लोग डर गए।
इस घटना को हम 1शमूएल 13:5-7 पद में पढ़ते है़।
आइए हम इसी अध्याय के 8 -14 पद तक पढेंगे।
शमूएल के ठहराए हुए समय के अनुसार शाऊल सात दिन ठहरा रहा; परन्तु शमूएल गिलगाल में नहीं आया और लोग उसके पास से तितर-बितर होने लगे। तब शाऊल ने कहा, होमबलि और मेलबलि मेरे पास ले आओ और उसने होमबलि चढ़ाई और उसने ज्योंही होमबलि चढ़ाई, तो क्या देखा कि शमूएल वहाँ आ पहुँचा। अतः शाऊल उससे मिलने तथा उसका अभिवादन करने गया था तब शमूएल ने कहा, तूने यह क्या किया? शाऊल ने उत्तर दिया मैंने देखा कि लोग मुझे छोड़कर तितर-बितर हो रहे हैं और तू भी अपने नियुक्त समय पर नहीं आया और पलिश्ती भी मिकमाश में एकत्रित हो रहे थे इसलिए मैंने कहा, अब तो पलिश्ती गिलगाल में मुझ पर आक्रमण कर देंगे और मैंने यहोवा के अनुग्रह के लिए प्रार्थना भी नहीं की है़। अतः मैंने विवश होकर होमबलि चढ़ा दी, शमूएल ने शाऊल से कहा, तूने मूर्खता काम किया है़ तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझे जो आज्ञा दी थी उसका पालन तूने नहीं किया। अब तक तो यहोवा ने इस्त्राएल पर तेरा राज्य सर्वदा के लिए स्थापित कर दिया होता पर अब तेरा राज्य बना नहीं रहेगा। यहोवा ने अपने लिए, अपने मन के अनुसार एक व्यक्ति को खोज लिया है़ तथा उसको अपने प्रजा पर राज्य करने के लिए नियुक्त भी कर दिया है़। क्योंकि तू ने उस आज्ञा का पालन नहीं किया जो उसने तुझे दी थी।
इन पदों को पढ़ने से हमें क्या पता चलता है़? शमूएल के आने में देरी होने से शाऊल राजा ने घबराहट में वह कार्य किया जो सिर्फ केवल शमूएल नबी को करना था। घबराहट में लिया हुआ फैसला शाऊल राजा के लिए हानिकारक साबित हुआ, शाऊल राजा धीरज तो धरा पर वहाँ तक नहीं जहाँ तक परमेश्वर चाहता था।
कईं बार जब हमारी समस्या का समय लम्बा होने लगता है़ तो घबराहट में हम उन निर्णय को ले लेते हैं जो हमारे लिए हानिकारक होते हैं। परमेश्वर कभी भी गलती नहीं करते हैं यदि उनके उत्तर देते समय देरी हो रही हो तो यह मत सोचें कि वह हमारे चिन्ता नहीं करते या हमारी प्रार्थनाएँ उस तक नहीं पहुँच रहीं। परमेश्वर ने इस संसार की नीव रखते वक्त हम से नहीं पूछा था उसने अपने बुद्धि से संसार को बनाया। क्या संसार को देखकर और उसकी बनाई हुईं हर चीज को देखकर क्या हम उसमें कोई बुराई निकाल सकते हैं? कभी भी नहीं परमेश्वर सिद्ध हैं, और उनके हर एक कार्य सिद्ध हैं; हम उसमें दोष नहीं निकाल सकते।
आप अपनी समस्याओं के समाधान के लिए परमेश्वर में धीरज बनाए रखें, परमेश्वर से प्रार्थना में बने रहिए हैं, उसका इंतजार करिए वह आपको निराश नहीं करेंगे। परमेश्वर धीरज रखने के लिए क्यों कहते हैं? क्या आप ने किसान को देखा हैं? वह अपने खेतों को तैयार करता है़, बीज बोता है़, पानी देता है़ और फिर इंतजार करता है़ फसल आने के लिए और इसी किसान की तरह हम भी धीरज के साथ रहते है़ कि हमारी समस्याओं का अन्त हो।
"धीरज धरना कोई कमजोरी नहीं" परन्तु एक ऐसा हथियार है़ जो आपको गलत कार्य करने से रोकता है़। समय देता है़ कि आप सही और गलत में फर्क कर सकें। क्योंकि कई बार लोगों के व्यवहार के कारण परिस्थितियों के कारण मन में कड़वाहट भर जाती है़ और मन में क्रोध के कारण हर तरह के विचार आने लगते है़। जो हमें एक गलत दिशा में ले जा सकते हैं, परमेश्वर के आत्मा के फल में से "धीरज" भी एक फल हैं। जिसको हम गलातियों 5:22-23 पद में पढ़ सकते हैं, "परन्तु पवित्र आत्मा का फल : प्रेम, आनन्द, शान्ति, "धीरज", दयालुता, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम हैं।" ऐसे-ऐसे कार्यों के विरोध कोई व्यवस्था नहीं हैं।
प्रिय बहनों, निराश मत होइए परन्तु धीरज को अपना कार्य करने दीजिए ताकि वह अपने समय में आपके लिए फलों को ला सकें।
प्रभु आप सब को आशीष दें!
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